जय जवान जय किसान जाट बलवान
जाटों का इतिहास गौरवशाली है। जाट एकीकृत हिन्दूस्तान के मध्य मध्य, उत्तारी एवं पश्चिमी भाग में सिंध के पार एवं अफगानिस्तान तक निवास करते रहे है। देश पर इर्शा पूर्व से ही उत्तर-पश्चिम से विदेशी आक्रंताओं ने आक्रमण प्रारम्भ कर हिन्दूस्तान पर कब्जा करने की कोशिश की तो विदेशी आक्रंताओ का सबसे पहले जाटों से ही मुकाबला हुआ। इर्शा पूर्व सिकन्दर महान ने हिन्दूस्तान पर आक्रमण किया तो जाट राजा पोरूष ने सिकन्दर को मजबूती से टक्कर दी, परिणाम स्वरूप सिकन्दर को सिन्ध नदी से ही वापिस युनान लौटना पड़ा। कालान्तर में जाट कृषि के धन्धे में रहे तथा इतिहास के मध्यकाल में विदेशी आक्रंताओं ने पुन: हिन्दूस्तान पर आक्रमण प्रारम्भ किये तो उतरी पश्चिमी हिन्दूस्तान की जाट खापों ने विदेशी आक्रंताओ से लोहा लिया तथा उन्हें भारी नुकसान पहुंचाया। इसी का परिणाम था कि मोहम्मद बीन कासिम, मोहम्मद गोरी एवं मोहम्मद गजनी हिन्दूस्तान पर आक्रमण करने के पश्चात लौटते समय मध्य हिन्दूस्तान, दक्षिणी राजपूताना एवं गुजरात जहां जाट जाति निवास नही करती उस रास्ते से वापिस अपने देश लौटे। देश की आजादी एवं सुरक्षा के मामले में देश के हितों के लिए जाट ने सदैव ही अपना खून पसीना बहाया और कुर्बानिया दी है। जाट एक दृढ इच्छा शक्ति वाली कौम है जो र्शोर्य और साहस से भरपूर है।
जाट न्याय, कर्मशीलता एवं सत्य का प्रतीक है तथा आत्मविश्वास से भरपूर है। पुराने समय में जाट जब गांव बसाते थे तो सभी जातियों को न्योता देकर उन्हें अपने गांव में बसाते थे। जाटों के साथ रहकर अन्य सभी जातियां सामान्तों एवं लुटेरों से अपने आप को सुरक्षित महसूस इर्शा से पूर्व जाट शासन व्यवस्था गणराज्य के रूप में थी। शासन तंत्र में गणराज्य की अवधारणा सर्वप्रथम जाट जाति ने ही प्रारम्भ एवं स्थापित की थी। सातवीं सताब्दी से पूर्व जाटों के सम्राज्य थे, लेकिन इतिहास के मध्यकाल में शासक, राजा महाराजा एवं सामान्तों ने शासन की कल्याणकारी अवधारणा को छोड़कर पोषण, लूट-पाट, कुरता आपसी लडाईयो एवं जनता के साथ छल कपट के धन्धें में आ गये तो जाट जाति ने अपने आप को शासन व्यवस्था से अलग करके कृषि एवं पशु पालन का धन्धा अपना लिया। सत्रहवीं सताब्दी में मध्य एवं उत्तर भारत में जाटों के सम्राज्य पुन: स्थापित हुये जिसमें महाराजा रणजीत सिंह एवं महाराजा सुरजमल प्रतापी शासक हुये।
देश की सुरक्षा के लिये जाट सबसे तत्पर रहते है। जब-जब देश को पड़ाैसी देशो ने युद्ध में उलझाया तब जाट युवा सेना में भर्ती के लिये लाखों की संख्या में पहुंच गये। देश की सीमाओं पर हुये शहीदो में जाट जाति की संख्या सबसे अधिक है। जाट एवं सिख बटालियन भारतीय सेना की आधी व्यक्ति है। जाट जाति का ध्येय है सामाजिक समरस्ता, बन्धूत्व, कत्वर्यनिष्ठा, कर्मशीलता, सत्यता, सुसंस्कृत नागरिक, सबका साथ, सबका विकास, एवं देश की सुरक्षा।